अनिल अंबानी दिवालिया हो सकते हैं, वो भी बहुत ज़ल्द

जहां मुकेश कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ते जा रहे हैं वहीं अनिल की सारी कंपनियों का हाल बुरा है. ऐसे में ये खबर ऐसी है जैसे 'करेला वो भी नीम चढ़ा'.
                               
Credit: The Lallantop

कहानी क्या है और भविष्य में अनिल अंबानी के साथ क्या होने जा रहा है इसके लिए फटाफट इतिहास जान लेते हैं.
रील बनाम रियल – धीरुभाई बनाम गुरुभाई

# रिलायंस: गुरू फ़िल्म तो देखी होगी. कैसे ‘केला सिल्क’ बेचते बेचते अभिषेक बच्चन यानी ‘गुरु भाई’ कुछ सही कुछ गलत ढ़ंग से सफलता की सीढ़ियां चढ़ते चले जाता है. होने को इस दौरान उसे बहुत कुछ दांव पर लगाना पड़ता है. जब मणिरत्नम यह फ़िल्म बना रहे थे तभी से यह कहा जा रहा था कि फ़िल्म धीरुभाई अंबानी के जीवन से प्रेरित है.
                                  
अगर ‘रील लाइफ’ और ‘रियल लाइफ’ और ‘रिलायंस’ की तुलना करें तो हमें बहुत समानता देखने को मिलती है ‘गुरु भाई’ और ‘धीरू भाई’ में.
1966 में ‘रिलायंस ग्रुप’ का एक ‘पोलिस्टर फर्म’ के रूप में उदय हुआ. और धीरे धीरे यह ग्रुप प्रगति करना चला गया और ‘पेट्रोलियम’, ‘पावर’ और ‘फाइनेंस’ सेक्टर्स में भी प्रभुत्व जमा लिया. मतलब इतना विशालकाय हो गया कि कुछ देशों की अर्थव्यवस्था से भी बड़ा. बहरहाल…
दो फाड़: 6 जुलाई, 2002 को ‘धीरू भाई’ की मृत्यु के बाद उनके दो पुत्रों – मुकेश, अनिल में ‘ऑलमोस्ट महाभारत’ हुआ. कुछ लोग कहते हैं कि ये महाभारत लोगों को दिखाने भर के लिए और ‘आर्थिक लाभ’ प्राप्त करने के लिए था. लेकिन हम कहानी को उसकी ‘फेस वेल्यू’ के आधार पर जानेंगे ताकि फटाफट खत्म करके आज और आने वाले कल के बारे में बात की जा सके.
तो, जब ये सो कॉल्ड ‘महाभारत’ अपने चरम पर था तो धीरुभाई की पत्नी और मुकेश, अनिल की मां, कोकिलाबेन रेस्क्यू के लिए आईं.
                  
तय हुआ ही दोनों को बराबर बराबर संपति मिलेगी. बड़े भाई मुकेश के पास ‘पेट्रोलियम’ वाला हिस्सा आया और छोटे को ‘फाइनेंस’ मिला. और भी छोटी मोटी कंपनियां थीं जिनमें से कुछ मुकेश को और कुछ अनिल को दे दी गईं.
विस्तार: हिस्से का बंटवारा होते ही दोनों ने अपने अपने स्तर पर अपना कारोबार बढ़ाया.
बड़े बेटे, मुकेश अंबानी ने अपने पारंपरिक फोर्टे – पेट्रोकेमिकल्स – पर ध्यान दिया. रिलायंस पेट्रोलियम (RPL) के रूप में एक नई कंपनी बनाई और जामनगर में पेट्रोलियम रिफाइनरी खोली. बाद में RPL, रिलायंस इंडस्ट्रीज की मूल कंपनी के साथ विलय हो गयी. पेट्रोकेमिकल्स के साथ ही मुकेश अंबानी रिलायंस रिटेल, रिलायंस ट्रेंड्स, रिलायंस जेम्स एंड ज्वेल्स और रिलायंस डिजिटल के साथ रिटेलिंग की न्यू-एज अवधारणा की तामीर करने में लग गये. और रिलायंस जियो ने पूरे भारत में जो अफरातफरी का माहौल बनाया और सफलता के जो मानक गढ़े उसे यहां पर फिर से बताना उसे एक सौ सोलहवीं बार रिपीट करना होगा.
    

उधर धीरुभाई के छोटे बेटे अनिल अंबानी ने भी कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी. उनकी रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने मेट्रो रेल सहित कई अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में अपने हाथ आजमाने शुरू किए. वे एड-लैब फिल्मस लिमिटेड खरीद कर मीडिया और एंटरटेनमेंट के क्षेत्र में भी सक्रिय हो गए. बिग टी.वी. (रिलायंस डिजिटल टी.वी.), रिलायंस एंटरटेनमेंट, रिलायंस कम्युनीकेश अनिल अंकल का ही तो है. साथ ही, दादरी में 28,000 करोड़ रुपये की एक विशाल ऊर्जा परियोजना सपना भी उनका ही है.
लेकिन, एक बड़ा ‘लेकिन’: जहां मुकेश अंबानी दिन दूनी रात चौगुनी सफलता हासिल करते रहे वहीं अनिल का तारा गर्दिश में पहुंचता चला गया. आज की तारीख़ में अनिल अंबानी की नेट-वर्थ 161 अरब रूपये है. अगर ये बहुत ज़्यादा लगती है तो आपको बताते हैं मुकेश अंबानी की नेट-वर्थ – 2,690 अरब रूपये. यानी छोटे भैया से लगभग साढ़े पंद्रह गुना ज़्यादा.
अनिल के हर एक वेंचर को अगर अलग अलग देखें तो ‘रिलायंस कम्युनिकेशन’ ने अपना 2G वाला बिज़नस अभी हाल ही में बंद कर दिया. जुलाई 2014 में अनिल के दूसरे बिज़नस पोर्टफोलियो ‘रिलायंस पावर’ के शेयर जहां 109 पॉइंट्स पर थे वही आज 39 पॉइंट्स के आस पास ट्रेड कर रहे हैं. मतलब अगर आपने सौ रूपये तब लगाए होते तो आज छत्तीस हो गये होते. जनवरी 2008 में ढाई हजार पॉइंट्स वाला अनिल का तीसरा वेंचर ‘रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर’ आज साढ़े चार सौ पर यानी तब के मात्र 18% पर रह गया है. और चौथे वेंचर यानि ‘रिलायंस कैपिटल’ की हालत तो और भी दयनीय है. सेबी ने हाल ही में रिलायंस जनरल इंश्योरेंस आईपीओ पर स्पष्टीकरण मांगा है. जिसकी ज़्यादा जानकारी के लिए चार दिसंबर तक का इंतज़ार करना पड़ेगा.
बात पुरानी है, एक कहानी है: आइये फिर थोड़ी इतिहास में चलते हैं. इस साल जून में भी पैसों को लेकर अनिल अंबानी फंसते नज़र आ रहे थे जब RBI ने उन्हें NCLT के लिए चिन्हित किया था. मगर तब उन्होंने कहा कि अपने टावरों को बेच देंगे मगर कर्ज़ा चुकाएंगे, विलय कर लेंगे लेकिन कर्ज़ा चुकाएंगे. न ‘एयरसेल’ के साथ विलय ही हो पाया, न ‘ब्रुकफील्ड’ ने अनिल के टावर खरीदे. नतीज़ा निल बट्टे सन्नाटा.
अब?: रिलायंस कम्यूनिकेशन के शेयर कल (28 नंवबर) को 3.37% गिरे. आज भी गिर रहे हैं. खबर आई है कि ‘एयरसेल’ और ‘ब्रुकफील्ड’ वाले सौदों में मुंह की खाने के बाद अब वो अपनी डीटीएच इकाई ‘रिलायंस बिग टी.वी.’ को पैंटल टेक्नोलॉजीज और वीकॉन मीडिया एंड टेलिविजन लिमिटेड को बेचेगी.
‘जियो’ और ‘मरने’ दो: रिलायंस जियो’ अनिल के बड़े भाई मुकेश अंबानी का है ये तो आप जानते ही हैं. इस जियो ने हम यूजर्स को तो बड़ा फायदा पहुंचाया मगर प्रतिद्वन्दियों की नाक में दम कर दिया, और आज तक कर रही है. एयरटेल, आईडिया, वोडाफोन से लेकर अपनी सरकारी वाली यानी बीएसऍनएल तक अपने रेट घटा घटा के घाटे में आ गये हैं. तो फिर इस सबके बीच पहले से ही अपनी ‘बुरी सर्विस’ और ‘नेटवर्क’ के लिए विख्यात आरकॉम की क्या बिसात है भला? यानी इस वाली ‘असफलता की लंबी कहानी’ का भी सारा श्रेय लोग जियो को ही दे रहे हैं.
Source: The Lallantop


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